संत कंवर राम जी उन्होंने संगीत गीत गुरु आश्रम से गायन वादन की शिक्षा प्राप्त की थी।
इसे प्रताप आमदनी से अपना व परिवार का भरण पोषण करते थे इनका विवाह मद्रास गांव के जमींदार नॉर्मल की सुपुत्री काकनी भाई के साथ सन उन्नीस सौ में संपन्न हुआ।संत कंवर राम के जीवन आदर्शों से प्रभावित होकर कटनी लंदन हो गई कटनी बाई की कोख से एक पुत्र परशुराम और दो पुत्रियों ने जन्म लिया लगभग 26 वर्षों तक काटनी भाई ने इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा कार्य किया भोजन भंडार की व्यवस्था का अपनी ही संभालती थी।
सन 1929 में निमोनिया होने के कारण काटनी बाई की मृत्यु हो गई।
भंडारे की व्यवस्था बिगड़ने लगी 2 वर्ष बाद सन् 1931 में मीरापुर केसरी सामान माला की जी पुतलीबाई के साथ संत कंवर ने लोगों के आग्रह से दूसरा विवाह किया था।गंगाबाई भी श्रद्धा के साथ साधु संतों की सेवा करती थी गंगाबाई की कोख से तीन संतान हुई।
गरीबों अनाथ और मोहताज ओके कल्याण में अपने जीवन को समर्पित करने वाले कंवर राम ने अपने समस्त कार्यों को मात्र उपदेशों तक सीमित नहीं रखा है वह अपने हाथों से काम करना पहली प्राथमिकता में रखते थे।
एक बार रेड कि मैं दरबार की सेवा का काम चल रहा था।
No comments:
Post a Comment